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Keshav Ram Singhal
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Monday 19 August 2019

बढ़ती उम्र .... गरिमा के साथ जीने के लिए कुछ जरूरी बातें


बढ़ती उम्र .... गरिमा के साथ जीने के लिए कुछ जरूरी बातें

भारतीय संयुक्त परिवार-प्रथा में बुजुर्गों को सहारा और इज्जत मिलती थी। बुजुर्गों की देखभाल में कोई समस्या नहीं थी, पर यह बात अब पुरानी बात हो गयी है। काफी समय से भारतीय परिवार अब एकल परिवार हो गए हैं। भारतीय परिवारों में बुजुर्गों की देखभाल वर्तमान में एक समस्या है, जिसे अनसुलझा छोड़ दिया गया है। इसलिए इस सन्दर्भ में बुढ़ापे के लिए निम्न नियमों पर कृपया गौर करें।

पहला, हम अपने बच्चों पर बोझ न बने और कोशिश करें कि उनके साथ न रह कर स्वतन्त्र रहें। यह हमारे लिए महत्वपूर्ण है कि हम अपने लिए ऐसा निवास खोजे जो हमें सुरक्षित और आरामदायक बनाए रखे। इसके लिए हम रिटायरमेंट विला में फ्लैट खरीद सकते हैं, एक ही परिसर में करीबी दोस्तों के साथ मकान खरीद कर या किराए पर रह सकते हैं, या फिर एक ऐसे स्वतंत्र घर में रह सकते हैं, जहाँ पास में हमारे बच्चे रहते हों। हमारी पहली प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि हम ऐसी जगह पर बसे जो स्वतंत्र रहने में हमें सक्षम बनाएं, अच्छी रोजमर्रा की संगति प्रदान करे और जिसका कम खर्चीला रखरखाव हो।

दूसरा, हमारे बच्चे उन तरीकों से मदद और सहायता करने के लिए तैयार हो सकेंगे, जो उनके जीवन को प्रभावित नहीं करे। हमारे पक्ष में नहीं होने के बारे में बच्चों को भी कोई अपराध-बोध नहीं होगा। यदि वे अपनी सुविधानुसार यात्रा की कोई योजना बनाते हैं, तो हमें इसका अधिकतम लाभ उठाना चाहिए, बजाए यह सोचकर कि वे हमारी सेवा नहीं करते हैं। यदि वे आर्थिक योगदान करते हैं, तो आने वाले घमंड के बिना हमें यह स्वीकार करना चाहिए। हमें अपनी हकदारी नहीं जतानी चाहिए।

तीसरा, हमें चिकित्सा सुविधा और स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करने में कमी नहीं करनी चाहिए। साठ साल की उम्र के बाद व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है। चेहरे पर झुर्रियाँ और स्वास्थ्य से जुडी कई समस्याएँ शुरू हो जाती हैं। फिट और स्वस्थ रहना एक ऐसा लक्ष्य है जिसे हमें हल्के में नहीं लेना चाहिए। हालांकि, हमें आक्रामक 'आधुनिक' स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च नहीं करना चाहिए जो हमें अस्पताल में भर्ती करती हैं और जो हमारी जीवन-समर्थन प्रणाली को अपमानित करती हैं। इसके बजाय हमें प्रशामक (शांतिपूर्ण) देखभाल-चिकित्सा को स्वीकार करना चाहिए। यदि हम किसी रोग से ग्रसित हैं तो हमें डॉक्टर के परामर्श के अनुसार अपना इलाज लेना चाहिए। हमें पर्याप्त नींद लेनी चाहिए तथा कसरत, ध्यान और योग करने की आदत बनानी चाहिए। इस उम्र में नियमित टहलना एक अच्छी आदत है।

चौथा, जब तक हम जीते हैं हमें अपने जीवन में सकारात्मक उद्देश्य प्राप्त करना चाहिए। हमें उन लोगों के साथ, जो समाज के साथ जुड़े हुए हैं, जुड़ना, लिखना, सेवा करना, अनुवाद करना, विभिन्न गतिविधियों भाग लेना और सामाजिक स्वयंसेवक बनाना चाहिए, जिन्हें इन सेवाओं की आवश्यकता हो सकती है। हमारे आसपास की दुनिया में हमारी सक्रिय भागीदारी हमें ऊर्जा और उत्साह प्रदान करेगी।

पाँचवाँ, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारी संपत्ति हमारे अपने जीवनकाल में हमारे द्वारा उपयोग की जाती है। अपनी विरासत छोड़ने से पहले अर्थात मृत्यु से पूर्व, खुद के लिए धन आवंटित करना, हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। पछतावे का कोई मतलब नहीं है कि सेवानिवृत्ति पर हमारे पास क्या है और यह चिंता करना कि क्या यह पर्याप्त है। एक समझदार निवेश योजना और एक यथार्थवादी जीवन शैली की पसंद के साथ, जो हमारे पास जमा धनराशि और पेंशन राशि से मेल खाता हो, हमें अच्छी तरह रहना चाहिए।

छठा, हमें अपने आहार पर विशेष ध्यान देने की जरुरत है। खाने में पोषक चीजें, जैसे ताजा फल-सब्जियों, शामिल करें। तले हुए भोजन से परहेज करें और भोजन में कम नमक और चीनी का प्रयोग भी सीमित करें।

सातवाँ, हमें जमाखोरी करने के बजाय देने (दान) पर भी ध्यान देना चाहिए। जैसे हमारी उम्र बढ़ती है हम महसूस करते हैं कि सामग्री और चीजें हमारी भलाई के लिए बहुत कम हैं। हालांकि उम्र के 70 और 80 वें दशक में यह भावना तीव्र हो सकती है। फिर भी हम पाते हैं कि अच्छी संगत, अच्छे भोजन, संगीत और आपसी वार्तालापों से हमें खुशी मिलती है, इस प्रकार हम देखेंगे कि सबसे अच्छी चीजें जो जीवन के लिए हैं, उन्हें पैसे या सामग्री की आवश्यकता नहीं है और हमारे पास देने के लिए बहुत कुछ है। परोपकार शुरू होना चाहिए जब वह बोध अंदर आ जाए। जब भी हम किसी की सहायता करेंगे तो हमें आत्मिक सुख का अनुभव होगा।

एक महत्वपूर्ण बात - बेहतर सुरक्षा के लिए, हमें एक आकर्षक डिजाइन वाली स्टाइलिश छड़ी खरीदनी और उपयोग करनी चाहिए, ताकि हम गिरने से अपना बचाव कर पाएं।

शुभकामनाओं सहित,

केशव राम सिंघल
(संकलित सामग्री)